Boltisyaahi...
खामोश शब्दों को कहती जुबां....
Friday, November 11, 2016
कुछ नोट जो बिकते नही, वो कीमत अब रखते नही,बाजार हुए हैं नरम कहीं तेवर हो गए गरम,आम की यह उलझन पूछे है खास से ,,,खट्टा तूने किया पर फूटे मेरे करम...
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