Friday, November 3, 2017

गंगा यात्रा




निश्छल शीतल जल लिए
करती कल-कल शोर
गोद में माँ की डुबकी लगा
हो जाते भाव विभोर।

कार्तिक माह की पूर्णिमा के  गंगा स्नान का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है और हो भी क्यों ना,
गंगा भारत की पवित्र नदियों में से एक है जिसे जीवनदायनी माँ के रूप में पूजा जाता है।
माना जाता है की गंगा नदी में इस दिन स्नान करने से मन के पाप तन के मैल धूल जाते हैं
धर्म कर्म के बहुत से कार्यों में गंगा जल की अपनी भूमिका है
तरह तरह के संस्कार, पूजन एवं कार्य इस जल से शुद्ध किये जाते हैं
और सबसे ज़रूरी बात की बहुत से जीव जंतुओं का जीवन इस जल पर निर्भर है 
जल बिन मछली ही नहीं हम सब अधूरे हैं।

हिन्दू धर्म में प्राकृतिक स्त्रीलिंग को भी पूजनीय माना गया है।
स्त्री, गाय माता,धरती माँ,तुलसी माँ, प्रभु के आगे जलाई जाने वाली ज्योती
सूरज की किरणे, चाँद की चांदनी, हवा, नदियां,ध्वनि, दृष्टि, बुद्धि, वाणी,संगीत
खुद ये संपूर्ण सृष्टि और प्रकृति  देवी का रूप है।

पर अफ़सोस की जो हश्र स्त्री का हुआ है इस समाज में
वही शोषण इस पावन नदी का भी हो रहा है
जिस पाप को धोने पवित्र होने श्रद्धालु लाखों की तादाद में पहुंचते हैं
ज़रा उनसे पूछा जाए की क्या वाक़ई आज भी उन्हें गंगा घाट पे वो सुकून वो सफाई मिलती है।
 एक बार हरिद्वार के गंगा घाट पर मैं अपने परिवार के साथ बैठी बैकग्राउंड नोइसिस (आरती के भेंट के पैसे दे दीजिये पुण्य कमाइए,कान साफ़ कराइये, मुंडन कराइये) के बीच
उस दृश्य का आनंद लेने की कोशिश कर रही थी
और मैंने बोला हे भगवान यहाँ तो हमें शान्ति से बैठने दो
तभी पीछे से एक माला बेचने वाला बोला-
“शांति चाहिए तो घर जाओ मैडम वो तो वहीँ मिलती है”
उसकी इस बात पे हम सब हँस पड़े :)
और मैंने भी सोचा की ये सब तो बेचारे बेरोज़गारी की मजबूरी का शोर मचा रहे हैं
रोटी कमाकर भूख मिटायेंगे तो इन्हे भी शांति मिलेगी।  :) :)

गंगा घाट पर एक नज़ारा आरती का,एक नज़ारा भीड़ का
वो भीड़ जिसमें से जाने कितने लोग पॉलिथीन ,बोतल, कचरा सब वहीँ फेक देते हैं।
डुबकी लगाते वक़्त एक नज़र महिलाओं पर रखते हैं
मौज मस्ती में मौका परस्ती से छेड़ भी लेते हैं।
बड़ा ही हास्यास्पद है ये कहना की हमारे देश में जहाँ घर की महिलाओं, माताओं और बहनो को
 सीमा में रहना, छोटे वस्त्र पहनना, पराये मर्दों के सामने परदे में रहना सिखाया जाता  है
वहीँ आस्था के नाम पर आप वहां  बहुत से लोगों को समूह में अटपटे कपड़ों में अर्धनग्न स्नान करता हुआ देख सकते हैं इनमें से हर किसी के मन में भक्ति नहीं मिलेगी  क्यूंकि स्वच्छ तो अब
न तो मन है न विचार हैं,कोई दिक्कत भी नहीं क्यूंकि ये आस्था का सवाल है

सवाल स्वच्छ गंगा अभियान पर सरकार द्वारा खर्च किये करोड़ो रुपयों का भी है
गंगा सफाई अभियान - सफर जो शुरू किया था 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने.
जिसे दोबारा शुरू किया गया 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
हज़ारों करोड़ रुपये इतने सालों में खर्च किये गए पर नतीजा सिफर

भाइयों और बहनों “नमामि गंगे”
बोलो हर हर गंगे……

"अबकी जो डुबकी लगाओ तुम
मन में यह प्रण भर लेना
जितनी गहरी सांस लिए
गंगा में समाओ तुम
उतना ही गहरा ठान लिए
गंगा को स्वच्छ बनाओ तुम"

 उत्तराखंड हाई कोर्ट की तरफ से गंगा नदी को देश की पहली जीवित नदी घोषित कर दिया गया है
और इसे वो सारे अधिकार मिलेंगे जो मानव को मिलते हैं. कोई भी अगर गंगा को नुक्सान पहुंचाता  है तो अपराधी माना जायेगा। गंगा के संरक्षण के लिए ये कदम ज़रूरी था और विडम्बना यह भी है की अब इस मानव को भी कहीं अधिकार की क़तार में ही खड़ा कर दिया जाए.

* हर दिन करीब 1.7 बिलियन लीटर कचरा गंगा में पहुंचता है
* कभी अधजली लाशें तो कभी पूरा ही मृत शरीर गंगा में प्रवाह कर दिया जाता है
* तमाम कारखाने, हानिकारक कीटनाशक और दवाइयों से गंगा नदी में बैक्टीरिया का लेवल 5500
तक पहुंच चूका है जो अनुग्य सीमा से सौ गुना ज़्यादा है.
*विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार गंगा नदी को दुनियां की पांच सबसे ज़्यादा दूषित नदियों में से एक  बताया गया है.

यह सब जानकर हम खुद को पवित्र करने जाते हैं या शरीर को बीमारियों में डुबोने
इस पर बहस भी आस्था की बात है क्योकि धर्म की बात है  मान्यताओं की बात है जिसपर सवाल पूछना संदेह है और जिसके जवाब हम खुद से कभी नहीं पूछते।
आँख मूंदे भेड़ चाल चलते हैं. कहीं धर्म गुरु, पुरोहित या समाज के धर्म के ठेकेदार बुरा मान जाएँ।
 
धर्म नीति है और अब एक चेहरा इसका राजनीति भी है
समझ ये नहीं आता की गंगा स्वच्छ हुयी या नोटबंदी से नोट..

गंगा मइया भी मनुष्य से कहती होंगी-
 
शिव ने निर्मल किया
शव ने मोहे छल लिया
तुम खाता बोते
मैं ख़ता को धोते
 सुरधुनी बहती रही...

5 comments:

rachit agarwal said...

Well observed and beautifully Quoted.

Keep it up.

Unknown said...

बहुत सुन्दर कविता👌👌👌

family said...

Nice words nmami gange.

Unknown said...

Nice article

RJ Richa said...

Kindly mention your name ☺