यह धुआं धुआं
सा रहने दो
मुझे दिल की
बात कहने दो
मैं पागल दीवाना
तेरा मुझे इश्क़
की आग में
जलने दो....
दिल्ली का हाल
देखकर यह गाने
के बोल याद
आ गए यह
इश्क़ ही तो
है ज़्यादा पैसा कमाने से सुविधाओं से और
उनपर इतनी मनमानियों
से की गैजेट्स
और हर तरह
के नए उत्पाद
इस्तेमाल करने के
चक्कर में इतना
उत्पात मचा दिया
हम सबने। एक
चक्र है जो
आपस में हर
बात को जोड़ता
हुआ चलता है।
दिल्ली जहाँ रोज़
इतनी तादाद में
लोग अलग अलग
जगहों से पहुंचते
हैं कुछ पड़ने
के लिए तो
कुछ नौकरी की
तलाश में हम
भी गए थे
और कुछ साल
वहां गुज़ारे और
हर दुसरे इंसान
का आना जाना
तो कभी बस
जाना राजधानी में
लगा ही रहता
है। सभी पोलिटिकल
काम, मीडिया ऑफिसेस,
फैक्ट्रीज इंडस्ट्रीज़, ओपोर्चुनिटीज़,बीपिओस,मार्केटिंग
एडवरटाइजिंग एजेंसीज, मीटिंग्स, ब्रांड्स,टेक्नोलॉजीज सब का
हब है। मुंबई
जाना हर किसी
का इतना आसान
नहीं होता जितना
दिल्ली क्यूंकि अब दिल्ली
दूर नहीं। इतने
लोगों का जमावड़ा
जब लगेगा तो
प्रदुषण तो होगा
ही और कारण
भारत की आबादी।
अब जितने सदस्य
बढ़ते जायेंगे ज़रूरतें
भी बढ़ेंगी जिनमें
घर बनाना, ऑफिस
बनाना, शॉपिंग करना, नए
कपड़े सामान खरीदना,ट्रक्स का आना
जाना,एक घर
में 3-5 गाड़ियां
होना, सबके अलग
मित्र होना,अलग
अलग फ्लैट्स खरीदना,अलग रिश्तेदार
होना उनका आना
जाना, पार्टीज करना,पर्सनल गाड़ियों से
टूर प्लान करना,गाड़ियों का पटाखों
का फैक्ट्रीज का
प्रदुषण किसानों का पराल
जलाना ये सब
मिले जुले कारण
हैं।
तो फिर किया क्या जाए
हमारे इस भौतिकवादी इश्क़ का जिसकी लत हमें लग गयी है क्यूंकि आधुनिकरण में सभी इलेक्ट्रिकल
एप्लायंसेज कम्प्यूटर्स मोबाइल फ़ोन्स,गाड़ियां सब शामिल हो जाते हैं जिनपर हम सभी की
जीवनशैली निर्भर हो चुकी है फिर चाहे दिल्ली हो या कोई भी देश। इस आपाधापी के माहौल
में धुंध भरे समाज में वातावरण के कल्याण के लिए क्यों न खुद से एक पहल करी जाए जिससे
आने वाला कल थोड़ा साफ़ दिखाई दे और सरकारों को भी चाहिए की नए नए डेवलपमेंट्स या दुसरे
देशों से आगे चलने की होड़ में बुलेट ट्रैन जैसी बेकार की योजनाओं पर करोड़ों रूपये खर्च
करने की बजाये वर्तमान में चल रही नीतियों और पुरानी योजनाओं को क्रियान्वित कर सही
से पहले लागु किया जाए। क्यों न स्मार्ट सिटी के साथ साथ स्मार्ट गांव स्मार्ट कसबे
भी बनाये जाएँ जिससे पलायन भी रुकेगा रोज़गार भी बढ़ेगा शहरों में बढ़तीं आबादी का दबाव
भी कम
होगा।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम इस सृष्टि को खुद ही नष्ट कर देंगे ऐसा ही सन्देश देती हुई हाल ही में टाइगर श्रॉफ की फिल्म आयी थी फ्लाइंग जट्ट। आज
हालत यह है
की मास्क पहनकर बाहर निकलना पड़
रहा है एयर
प्यूरीफायर लगाने की सलाह
दे रहे हैं
एक्सपर्ट्स जो सबके
बस की बात
तो नहीं है।पहले ही हम साफ़ पानी खरीद कर पीने के लिए मजबूर हैं अब साफ़ हवा भी खरीदने को मजबूर हो गए हैं यह कैसा विकास का मॉडल हम और आप तैयार कर रहे हैं अपने आने वाले कल के लिए जहाँ सिर्फ धुंध ही धुंध है।
4 comments:
Nice post specially !!! Kyon na gaon ko bhi smart bana de
Nice article y not make smart villages.
Nice article👍
Thanks dear :)
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